Sunday, February 21, 2010

युवा क्रांति का दौर

यह युवा क्रांति का दौर है और हर क्षेत्र में युवाओं की सक्रिय भागीदारी बढ़ती जा रही है। राजनीति का क्षेत्र हो, उद्योग व्यवसाय का, कला साहित्य एवं संस्कृति का क्षेत्र हो या फिर सेवा का हर तरफ युवा नेतृत्व परवान चढ़ रहा है। राजनैतिक पार्टियों ने पुरानी पीढ़ी के संरक्षण में भावी रणनीति के तहत युवाओं के महत्व को समझा और अपने-अपने दलों के युवाओं को आगे लाकर अपनी विचारधारा को पुष्ट करने का अभियान चलाया। देश भर के युवाओं में समाज, राष्ट्र और स्वयं के हित में कुछ कर गुजरने का हौसला बुलंद हो, इस उद्देश्य से युवा नेता राहुल गांधी पूरे देश में यात्रा करके युवाओं को अपने साथ जोड़ रहे हैं। अपनी विचारधारा से युवाओं को जोड़ने और उन्हें सही दिशा में कदम बढ़ाने के लिए वे आगे-आगे चल रहे हैं। उनके विचारों से प्रभावित होकर उनके पीछे-पीछे कदम ताल करते हुए अधिकांश युवा इस मुहिम में शामिल होते जा रहे हैं। युवाओं को देश के समक्ष उपस्थित चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए उनमें निष्ठा, साहस और उत्साह की भावना जगाने के उद्देश्य से राहुल गांधी का अभियान जारी है। केवल यह मान कर इसकी अनदेखी नहीं की जानी चाहिए कि वे किसी पार्टी विशेष के पदाधिकारी हैं। बल्कि इसकी मूल भावना को महत्व दिया जाना चाहिए। जगह-जगह अपनी यात्राओं में राहुल गांधी राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका जैसे मुद्दे पर जोर दे रहे हैं। युवाओं में जोश पैदा करके उन्हें अपने अस्तित्व की पहचान करा रहे हैं। विभिन्न राजनैतिक पार्टियों के लोग राहुल गांधी के तेवरों का भले ही विरोध कर रहे हों और उनके प्रभाव को नकारने का प्रयास कर रहे हों किंतु उनकी आंधी से वे भीतर ही भीतर विचलित होते भी दिखाई दे रहे हैं। राहुल द्वारा युवाओं को दिये जा रहे संदेश का असर तो दिखने लगा है किंतु उनके विरोधी आशातीत इस प्रभाव को राजनैतिक हथकंडा करार रहे हैं। यह सही है कि देश में युवा भागीदारी में वृद्धि हुई है। स्वाभाविक है कि इन बढ़ते आंकड़ों का राजनैतिक लाभ उस पार्टी के खाते में जुड़ रहा है, जिससे राहुल गांधी जुड़े हैं। कुल मिलाकर देखा जाए तो राहुल गांधी की यात्रा को लेकर कांग्रेसियों में काफ़ी उत्साह है। बिहार में लंबा पतझड़ झेल चुकी कांग्रेस अब उनके बूते यहां राजनीतिक बसंत लाना चाहती है। महाराष्ट्र में भी पिछले दिनों राहुल का जादू देखने को मिला। शिवसेना के भारी विरोध के बावजूद मुंबई की जनता राहुल के साथ खड़ी नजर आयी न कि बाल ठाकरे के साथ। बाल ठाकरे को उनके ही लोगों ने औकात दिखा दी। राहुल गांधी ने देश के विभिन्न राज्यों का दौरा कर राज्य के दलित, मुस्लिम और अन्य कम.जोर तबके के युवाओं को इस यात्रा से जोड़ा है। राहुल ब्रिगेड क्या ची.ज है इसका न.जारा हाल ही में बिहार में दिखा। केंद्र सरकार में पार्टी के सभी युवा मंत्री, युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय स्तर के तमाम नेता और संगठन पदाधिकारी इस मौक़े पर मौजूद थे। उनकी इन यात्राओं से लाभ यह हुआ कि न सिर्फ़ चर्चा में बल्कि राजनीतिक मुख्यधारा में भी कांग्रेस का फिर से प्रवेश होता हुआ दिखने लगा है।

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