Friday, February 12, 2010
बच्चों को बड़ा बनाया
इंटरनेट ज्ञान का भंडार है लेकिन इसका एक ऐसा स्याह पहलू है जो छोटी उम्र के बच्चों के सामने सेक्स संबंधी रहस्य उजागर कर रहा है। यह हमारे सामाजिक परिवेश में अब तक ढंके छिपे रहे हैं। इन्हें एक उम्र से पहले जानना समाज और बच्चे दोनों के लिए घातक हो सकता है। राजधानी के मनोचिकित्सक कहते हैं कि एक विषय के रूप में यौन के प्रति जिज्ञासा होना कोई नई या असामान्य बात नहीं है लेकिन इस विषय पर जानकारी उम्र के लिहाज से दी जानी चाहिए। इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले बच्चों के सामने ऐसी कोई बंदिश नहीं होती। यौन संबंधी जिज्ञासाओं को शांत करने के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल धीरे-धीरे आदत में तब्दील हो जाता है। मनोचिकित्सक और यौन मामलों के जानकार कहते हैं कि आदमी का दिमाग हर दबी छिपी चीज के बारे जानना चाहता है। उसे चीज से जितना दूर रखा जाता है वह उसके और करीब जाने के लिए ललचाता है। डाक्टर कहते हैं कि इंटरनेट पर सेक्स से जुड़ी चीजों की सहज उलब्धता और उन तक बच्चों की बेरोक टोक पहुंच इस नए चलन के लिए काफी हद तक जिम्मेदार हैं। सबसे ज्यादा गंभीर बात यह है कि अभिभावक बच्चों की इस आदत को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। समाज में अलग थलग रहने की प्रवृत्ति और उनकी व्यस्त दिनचर्या भी इसकी प्रमुख वजह है। हालांकि मां-बाप लापरवाही के कारण बच्चे की इस आदत की ओर ध्यान नहीं देते। विषय की गंभीरता को देखते हुए उन्हें बढ़ते बच्चों की गतिविधियों पर नजर रखनी चाहिए और बदलते परिवेश में उनकी जिज्ञासाओं को शांत करना चाहिए। इस इंद्रजाल के बच्चों के कोमल मन पर पड़ने वाले असर के बारे में डाक्टर कहते हैं कि इंटरनेट पर उपलब्ध सेक्स संबंधी जानकारियों का स्वरूप ऐसा है कि बच्चे उसे समझने के लिए मानसिक तौर पर सक्षम नहीं हैं। वहां मिलने वाले अधकचरे ज्ञान का उन पर बुरा असर पड़ सकता है। वह सेक्स के बारे में गलत छवि बना सकते हैं। इसके लिए यौन शिक्षा बहुत जरूरी है लेकिन उसका उचित माध्यम होना जरूरी है। स्कूलों में बच्चों की काउंसलिंग का इंतजाम होना चाहिए। अभिभावक और शिक्षकों का भी इस विषय पर एक दूसरे से समन्वय हो।
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