Wednesday, February 17, 2010

आनर किलिंग

एक गैरसरकारी संगठन के सर्वेक्षण इंडियन पापुलेशन सर्वे में कहा गया कि भारत में एक साल में कम से कम ६५० युवक युवतियों को सम्मान के नाम पर मार दिया जाता है और इनमें से ९० प्रतिशत से ज्यादा मामले हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के होते हैं। इस भीषण समस्या को देखते हुए गृह और विधि मंत्रालय ने एक पहल की है, जिसके तहत कानूनी संशोधन कर सीआरपीसी में इसे डालने की कवायद चल रही है।गौरतलब है कि इन दिनों हमारे देश में आनर किलिंग की घटना में वृद्धि देखने को मिल रही है। हमारे मौलिक अधिकारों में किसी भी जाति या धर्म में शादी करने तक की छूट संविधान द्वारा प्रदत है। लेकिन विगत कुछ वर्षों से हरियाणा सहित कई प्रांतों से खाप पंचायतों के द्वारा गोत्र विवाद को तुल आनर किलिंग जैसे जघन्य अपराध लगातार किए जा रहे हैं और सरकारे मौन धारण किए हुए हैं। हाल ही में गृहमंत्री पी. चिदंबरम इन घटनाओं की कठोर निंदा तो की लेकिन वह सिर्फ राष्ट्रव्यापी बहस से आगे नहीं बढ़ पाए। इसका असल कारण है कि आनर किलिंग के लिए कोई अलग कानून नहीं है और फिर यह मामला भी राज्य सरकार की कानून व्यवस्था के दायरे में आता है। परंपराओं की दुहाई देने वाली खाप पंचायतें शायद संविधान से अलग तालिबानी व्यवस्था में विश्वास करती हैं। इस देश का यह दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है कि कोई भी कानून की मर्यादा का उल्लंघन करे और सरकार की चुप्पी विवशता दिखाती रह जाती है। खाप न्यायालयों की आनर किलिंग के खिलाफ सरकार बहस की बात करती है। बहस से समाज नहीं सुधारता, इसका उदाहरण हम देख सकते हैं कि खुद खाप पंचायतें बहस का अड्डा होते हुए भी अपराध का निर्णय सहर्ष स्वीकार कर लेती हैं। सरकार के पास यह आंकडा रहता है कि खाप जैसी पंचायतों ने अब तक क्या-क्या किया, लेकिन उन पर अंकुश लगाने की दिशा में पहल का जिक्र कहीं नहीं होता। सरकार अब इस बात को लेकर गंभीर हुई है कि आनर किलिंग जैसे अपराध को रोकने के लिए कानूनी संशोधन किया जाना आवश्यक है। नए कानून लाने के स्थान पर सरकार आईपीसी में संशोधन की बात सोच रही है। आईपीसी में संशोधन के बाद आनर किलिंग संगीन अपराध की श्रेणी में आ जाएगा। अब तक ऐसा नहीं था। भारत में आनर किलिंग पर संयुक्त राष्ट्र भी चिंता जता चुका है। संशोधन के बाद आनर किलिंग के दोषी को उम्र कैद से लेकर फांसी तक की सजा हो सकती है।

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