Saturday, February 27, 2010
...बुरा न मानो होली है
एक काबिल ईडियट मैं,
कामयाबी बोलती है
पैंट के अंदर की चड्ढी,
राज दिल का खोलती है
रुल करो एक भूल करो
फिर तोहफा मेरा कुबूल करो!
राज ठाकरे-
विकट मराठी का सेवक हूं
तन स,े धन से, गन से।
यूपी और पटना वालों को
पीटूं पूरे मन से!
अमर सिंह-
लोहियाजी का पीकर प्याला,
घूमे अमर सिंह मतवाला
आ.जम आये मुलायम भैया
पीटो गाल, बजाओ ताली
लेकिन हो जायेगी प्यारे...
सपा से फिल्म इंडस्ट्री खाली लेकिन
गुर्दे का टेंशन झेलूं
जयाप्रदा संग होलो खेलूं!
शरद पवार-
'महंगाई का ढोता भार,
इकलौता मैं शरद पवार
आलू,दाल, प्याज का ठीकरा
मेरे सिर पर फूटा
कुछ दिन और बचे हैं जी लो,
भंग में नमक मिला कर पी लो!
ललित मोदी-
एक एक रन के बदले
लख लख रुपया पाओ
टेस्ट क्रिकेट से झाड़ के पल्ला
आईपीएल में आओ
बिको तुम जैसे बिकता है रंग,
काट दो होली में हुड़दंग!
गुर्दे वाले नेता जी का साक्षात्कार
हाल ही में इन नेता जी को कभी अपनी उनकी रही पार्टी ने निष्कासित कर दिया है। फिलहाल काई ठौर ठिकाना नहीं मिला। अब वे जल्द ही अपनी एक नई पार्टी बनाने की सोंच रहे हैं। होली के मौके पर उनसे एक पत्रकार महोदय ने उनकी पर्सनल लाईफ और उनके इंटरेस्ट पर बातचीत की। बुरा न मानो होली है....
स्त्री और इस्त्री में क्या फर्क है ?
एक को छूने से करंट लगता है और दूसरी को देखने से ही।
शादी लड्डू ही क्यों है , पेड़ा क्यों नहीं है ?
अरे मैडम , दोनों के साइज पर भी ध्यान दीजिए। पेड़ा चपटा होता है , जबकि लड्डू गोल। शादी के बाद आदमी को गोल गोल ही तो घूमना पड़ता है।
राम सीता है , तो राम कौन है ?
मैडम , आप ये भी नहीं जानतीं कि राम टेलर होगा।
पत्नी और वैम्पायर में क्या अंतर है ?
चुडै़ल एक ही बार में खून चूस लेती है , लेकिन पत्नी धीरे धीरे।
अगर किसी सुपर स्टार हीरो से मिलने का मौका मिले , तो ...
सारी , लड़कों में मेरा कोई इंटरेस्ट नहीं है।
अगर कालू जादव प्रधानमंत्री बन जाएं , तो क्या होगा ?
हर फाइव स्टार होटल में सत्तू और दही चूड़ा मिलेगा। वह भी स्पेशल डिस्काउंट के साथ।
लव और अरेंज्ड मैरिज में क्या अंतर है ?
कोई नहीं। दोनों ही बाद में डी अरेंज्ड हो जाती हैं।
बस में आपके साथ लड़कियां ही हों , तो आप क्या करेंगे ?
मैं अकेला क्या कर पाऊंगा। लड़कियां जो चाहे , कर लें। मैं तो ड्राइवर को पैसे देकर गाड़ी आगे बढ़वाता रहूंगा।
कोई हाट हीरोइन आपके पड़ोस में रहने आ जाए तो ...
सबसे पहले , अपनी बीवी को मायके भेज दूंगा।
शादी के पहले और शादी के बाद में अंतर क्या है ?
शादी से पहले जानेमन और बाद में जान मत खाओ।
...तुम याद आईं !
Thursday, February 25, 2010
महान हैं सचिन
Sunday, February 21, 2010
अब आईपीएल ३
युवा क्रांति का दौर
यह युवा क्रांति का दौर है और हर क्षेत्र में युवाओं की सक्रिय भागीदारी बढ़ती जा रही है। राजनीति का क्षेत्र हो, उद्योग व्यवसाय का, कला साहित्य एवं संस्कृति का क्षेत्र हो या फिर सेवा का हर तरफ युवा नेतृत्व परवान चढ़ रहा है। राजनैतिक पार्टियों ने पुरानी पीढ़ी के संरक्षण में भावी रणनीति के तहत युवाओं के महत्व को समझा और अपने-अपने दलों के युवाओं को आगे लाकर अपनी विचारधारा को पुष्ट करने का अभियान चलाया। देश भर के युवाओं में समाज, राष्ट्र और स्वयं के हित में कुछ कर गुजरने का हौसला बुलंद हो, इस उद्देश्य से युवा नेता राहुल गांधी पूरे देश में यात्रा करके युवाओं को अपने साथ जोड़ रहे हैं। अपनी विचारधारा से युवाओं को जोड़ने और उन्हें सही दिशा में कदम बढ़ाने के लिए वे आगे-आगे चल रहे हैं। उनके विचारों से प्रभावित होकर उनके पीछे-पीछे कदम ताल करते हुए अधिकांश युवा इस मुहिम में शामिल होते जा रहे हैं। युवाओं को देश के समक्ष उपस्थित चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए उनमें निष्ठा, साहस और उत्साह की भावना जगाने के उद्देश्य से राहुल गांधी का अभियान जारी है। केवल यह मान कर इसकी अनदेखी नहीं की जानी चाहिए कि वे किसी पार्टी विशेष के पदाधिकारी हैं। बल्कि इसकी मूल भावना को महत्व दिया जाना चाहिए। जगह-जगह अपनी यात्राओं में राहुल गांधी राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका जैसे मुद्दे पर जोर दे रहे हैं। युवाओं में जोश पैदा करके उन्हें अपने अस्तित्व की पहचान करा रहे हैं। विभिन्न राजनैतिक पार्टियों के लोग राहुल गांधी के तेवरों का भले ही विरोध कर रहे हों और उनके प्रभाव को नकारने का प्रयास कर रहे हों किंतु उनकी आंधी से वे भीतर ही भीतर विचलित होते भी दिखाई दे रहे हैं। राहुल द्वारा युवाओं को दिये जा रहे संदेश का असर तो दिखने लगा है किंतु उनके विरोधी आशातीत इस प्रभाव को राजनैतिक हथकंडा करार रहे हैं। यह सही है कि देश में युवा भागीदारी में वृद्धि हुई है। स्वाभाविक है कि इन बढ़ते आंकड़ों का राजनैतिक लाभ उस पार्टी के खाते में जुड़ रहा है, जिससे राहुल गांधी जुड़े हैं। कुल मिलाकर देखा जाए तो राहुल गांधी की यात्रा को लेकर कांग्रेसियों में काफ़ी उत्साह है। बिहार में लंबा पतझड़ झेल चुकी कांग्रेस अब उनके बूते यहां राजनीतिक बसंत लाना चाहती है। महाराष्ट्र में भी पिछले दिनों राहुल का जादू देखने को मिला। शिवसेना के भारी विरोध के बावजूद मुंबई की जनता राहुल के साथ खड़ी नजर आयी न कि बाल ठाकरे के साथ। बाल ठाकरे को उनके ही लोगों ने औकात दिखा दी। राहुल गांधी ने देश के विभिन्न राज्यों का दौरा कर राज्य के दलित, मुस्लिम और अन्य कम.जोर तबके के युवाओं को इस यात्रा से जोड़ा है। राहुल ब्रिगेड क्या ची.ज है इसका न.जारा हाल ही में बिहार में दिखा। केंद्र सरकार में पार्टी के सभी युवा मंत्री, युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय स्तर के तमाम नेता और संगठन पदाधिकारी इस मौक़े पर मौजूद थे। उनकी इन यात्राओं से लाभ यह हुआ कि न सिर्फ़ चर्चा में बल्कि राजनीतिक मुख्यधारा में भी कांग्रेस का फिर से प्रवेश होता हुआ दिखने लगा है।