Wednesday, February 17, 2010

अपराध की नई मायावी दुनिया

आज के साइबर अपराधों का चेहरा बहुआयामी है, जिसके चलते सब कुछ असुरक्षित है। फिर चाहे वे देश की सुरक्षा से जुडी नाजुक जानकारियां हों या फिर व्यक्ति की निजता अथवा देश की अर्थव्यवस्था का आधारभूत ढांचा। खतरा बड़ा है, गहरा है और सबसे बड़ी मुश्किल है कि यहां अपराधी दिखता भी नहीं है। अपराध हो जाता है लेकिन कोई ऐसा सबूत नहीं मिलता जिन्हें अब तक के अपने कानूनों में अदालतें साक्ष्य के तौर पर मंजूर करती हैं। चीन में बैठा हैकर हमारे प्रधानमंत्री निवास से लेकर तमाम बडे़ और संवेदनशील सरकारी कार्यालयों के कंप्यूटरों तक अपनी पहुंच बना लेता है। जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के कंप्यूटर पर आने वाली सूचनाएं उन हाथों तक पहुंच जाती हैं जहां उन्हें नहीं पहुंचना चाहिए। एक स्कूल की छात्रा के नितांत निजी क्षणों की वीडियो क्लिपिंग पलक झपकते दुनिया भर के मोबाइल और इंटरनेट साइट्स पर दिखने लगती है। आपका एटीएम कार्ड आपकी जेब सुरक्षित रहता है लेकिन आपके खाते से बड़ी आसानी से पैसा निकल जाता है न कोई मारपीट और न कोई छीनाझपटी। मोटे तौर पर यह है आज के साइबर अपराधों का बहुआयामी चेहरा जहां सब कुछ असुरक्षित है। सरकार अब जागी है। वह साइबर अपराधों की मायावी दुनिया से निबटने के लिए अलग कानून और प्रवर्तन एजेंसी की वकालत कर रही है। भारत में कंप्यूटर युग की शुरुआत से सभी क्षेत्रों में व्यापक बदलाव नजर आया है। इसमें साइबर क्रांति की अहम भूमिका है। इस प्रौद्योगिकी के फैलाव और बढ़ते इस्तेमाल ने साइबर अपराध सहित कई अन्य समस्याओं को जन्म दिया है। साइबर अपराधों में कई तरह की अवैध गतिविधियां शामिल हैं। हम आज अपनी अहम जानकारियों को कंप्यूटर में संकलित करते हैं। व्यक्तिगत जानकारियों के अलावा देश की महत्वपूर्ण जानकारियां भी इंटरनेट पर उपलब्ध होती हैं। देश की सुरक्षा प्रणाली में सेंध लगाने की दुस्साहसिक वारदातें होने लगी हैं। चीन हो या अमरीका सभी साइबर क्राइम से त्रस्त हैं। व्यापक पैमाने पर हो रही संगठित हैकिंग लोगों को चकित करने वाली हैं। दुनिया भर में विभिन्न देशों के सामने पेश आ रहे गंभीर खतरे की चेतावनी देती हैं यह वारदातें। यदि इस ई आतंकवाद को समय रहते नहीं रोका गया तो यह हमारे देश के लिए सीमा पार के आतंकवाद से अधिक भयावह साबित हो सकता है। विश्व के सभी देशों पर हैकर्स व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, मानवाधिकार समूहों और सरकारी एजेंसियों को निशाना बनाने में सफल रहे हैं। वर्ष २००७ में अमरीका के पेंटागन की ई मेल प्रणाली और वर्ल्ड बैंक की वित्तीय सूचना प्रणाली में साइबर घुसपैठ के पीछे चीनी हाथ की आशंका जताई गई थी। हैकरों ने अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान बराक ओबामा और मैक्केन के प्रचार अभियानों को भी साइबर हमलों का निशाना बनाया था। यह सारे घटनाक्रम साइबर आतंकवाद के खतरों की ओर इशारा करते हैं। विश्व के आतंकी अब अपने गैंग में आईटी प्रोफेशनल्स को भी प्राथमिकता देने लगे हैं। आतंक ई आतंकवाद के रूप में अवतरित हो रहा है। आनलाइन अपराध की घटनाएं आज सुर्खियां बनने लगी हैं। इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या बढ़ने के साथ ही ऐसे अपराध लगातार बढ़ते जा रहे हैं। साइबर अपराध की व्यापकता को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि कंप्यूटर नेटवर्क का इस्तेमाल करके किसी भी औद्योगिक समूह या देश के कामकाज को पूरी तरह से ठप किया जा सकता है। साइबर अपराध से कोई भी क्षेत्र अछूता नहीं रहा है फिर चाहे वह बैंकिंग हो अथवा रक्षा, शिक्षा या अनुसंधान।कानून से संबंधित एजेंसियां इस क्षेत्र में न तो साधनों से लैस हैं और न ही पूरी तरह प्रशिक्षित। साइबर अपराध द्वारा अपराधी साइबर स्पेस का इस्तेमाल करके कंप्यूटर आधारित हमलों से किसी भी सत्ता को भयभीत करने या उसे अपनी विचारधारा के अनुसार चलने को बाध्य करता है। इस अपराध के तहत वैश्विक स्तर पर हैकर्स व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, मानवाधिकार समूहों और सरकारी एजेंसियों को अपना निशाना बनाते हैं। शापिंग वेबसाइट्स, आनलाइन बैंकिंग और अन्य साइट्स की बढ़ती लोकप्रियता के साथ यह संवेदनशील मामले निजी और वित्तीय डेटा की आवश्यकता के कारण साइबर अपराध के आसान शिकार बनते जा रहे हैं। साइबर अपराध का पता लगाना और रोकना कड़ी मेहनत और चाकचौबंद चौकसी की दरकार रखता है। देश में इंटरनेट को आए अभी कुछ ही दशक हुए हैं। इसे देखते हुए साइबर अपराध पर लगाम लगाना महत्वपूर्ण हो गया है। सूचना प्रौद्योगिकी का दायरा दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। इससे कई प्रकार की अवैध गतिविधियों के बढऩे का खतरा सामने है। साइबर अपराधों से धोखाधड़ी, पहचान की चोरी, स्पैम, फिशिंग घोटालों, डाटा चोरी, कंप्यूटरों से खुफिया और संवेदनशील सूचनाओं की चोरी, सूचना का दुरुपयोग, इन्फारमेशन पाथवे जाम, हार्ड डिस्क और फाइलों को नष्ट कर देना, कंप्यूटर वायरस, बग, बौट, वर्म, ट्रोजन हार्स आदि संबद्ध हैं। ई आतंकवाद ने नया और अदृश्य चेहरा अख्तियार कर लिया है। यह आतंकवाद के उन सभी रूपों से कहीं अधिक घातक है, जिनका हम भी तक सामना कर चुके हैं। इसे देखते हुए साइबर अपराध से निबटने के लिए सुसज्जित और समुचित सुरक्षा एजेंसी की जरूरत है, जो प्रशिक्षित भी हो। वर्तमान में हमारी एजेंसियों द्वारा अधिकांश कार्य घटिया ई मेलों, डाटा चोरी और छोटे से लेकर मध्यम स्तरीय हैकिंग के मामलों में ही किया जा रहा है और वह भी सिर्फ महानगरों में। देश अभी इ र्आतंकवाद से निबटने को पूरी तरह से तैयार नहीं है। इसलिए इस दिशा में काम होना जरूरी है। भारत सरकार ने इस अपराध की अहमियत समझते हुए साइबर स्पेस की सुरक्षा बढ़ाने के लिए पहल की है। भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम २००० में संशोधन किया गया है। भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सीईआरटी) का गठन किया है। यह सौ लोगों की समर्पित टीम है और चौबीस घंटे तत्पर रहती है। यह अपने प्रयोक्ताओं को पूर्व चेतावनी और सलाह देती है। सुरक्षा और सुरक्षा के उपाय सुनिश्चित करने के लिए वेबसाइट की मदद ली जा रही है। माना जाता है कि साइबर हमलों में भी भारत के लिए पाकिस्तान बड़ा खतरा है लेकिन यह सही नहीं है। भारत को चीन, रूस और अमरीका से सावधान रहने की जरूरत है।

No comments:

Post a Comment