Friday, January 15, 2010

बस एक घंटा ...

जब कभी हम किसी पार्टी में होते हैं तो हम घंटों उसका लुत्फ़ उठाते रहते हैं। लेकिन अगर किसी पूजा समारोह में हों तो बस एक घंटे बाद ही ऊब जाते हैं। सोचते हैं कि कब पंडित जी पूजा खत्म करेंगे। भगवान से हम चाहते तो बहुत कुछ हैं लेकिन उसके साथ बैठकर टाइम गुजारा जाए.... यह हमारे लिए बड़ी समस्या बन जाती है।
इधर-उधर हम कई बार बेकार में भटकते रहते हैं। बस भगवान का नाम लेने के लिए हमारे पास टाइम नहीं है। जब कुछ विपदा आ जाती है, तब कहते हैं कि हे भगवान मेरी रक्षा करना, मुझे इस संकट से बचाना। अगर हम अपने देवी देवताओं की तरफ देखें तो पाएंगे कि उनकी प्रतिमा हमें हमेशा मुस्कराती हुई दिखाई देती हैं। लेकिन, हम हाथ जोड़ कर जब दुआ मांगते हैं, तो हमारे चेहरे पर रत्ती भर भी मुस्कान नहीं होती। बस अपना मतलब पूरा हुआ और निकल लिए। किसी से मांगिए तो मुस्कुराकर, भले ही आपका दिल गम से मालामाल हो। वो यानी भगवान सब जानता है कि हमें क्या चाहिए, वो तो सिर्फ हमें परखता है। इसलिए ऊंघिए मत। सिर्फ ऑंखें बंद कर लीजिए। फिर देखिए आनंद ही आनंद मिलेगा।

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