nirajmani
Friday, January 15, 2010
जो गम से बेखबर हो
नई एक दिशा हो नया एक सफ़र हो
नया एक जहां हो जो गम से बेखबर हो
नया हो वो अम्बर नयी ये धरा हो
नई हो एक मंजिल नया रास्ता हो
नई हो वो चिड़िया नई एक चहक हो
नया हो एक मधुवन नयी एक महक हो
नयी हो वो रिमझिम बरसती घटाएं
जो मन को कहीं दूर गम से ले जाएं
1 comment:
kamlakar Mishra Smriti Sansthan
January 21, 2010 at 11:16 PM
nice poem.hope it will become true.thanks
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nice poem.hope it will become true.thanks
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