Saturday, March 27, 2010

... फैसला

गरीब और पिछड़े मुसलमानों के लिए सरकारी नौकरियों के आरक्षण के बारे में अंतरिम आदेश देकर माननीय सुप्रीम कोर्ट ने आंध्रप्रदेश सरकार के फैसले पर मंजूरी की मुहर लगा दी। एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने उस कानून को बहाल कर दिया है जिसे आन्ध्र प्रदेश सरकार ने इस उद्देश्य से बनाया था कि सरकारी नौकरियों में पिछड़े मुसलमानों को आरक्षण दिया जा सकेगा। बाद में हाई कोर्ट ने इस कानून को रद्द कर दिया था। अब हाई कोर्ट के फैसले को गलत बताते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने इसे कानूनी शक्ल दे दी है। पर सवाल यह है कि क्या सिर्फ मुसलमान होने की वजह से कोई आरक्षण का हकदार हो जाता है, लेकिन यहां पर यह इसलिए ठीक है कि अगर वह सामाजिक रूप से पिछड़ा या दलित की श्रेणी में आता है तो उसे भी शिक्षा और नौकरियों में ठीक उसी तरह आरक्षण मिलना चाहिए, जिस तरह उसके जैसी सामाजिक स्थिति वाले अन्य धर्मों के भाइयों को मिलता है। फिलहाल मामला संविधान बेंच को भेज दिया गया है जहां इस बात की भी पक्की जांच होगी कि आन्ध्र प्रदेश सरकार का कानून विधिसम्मत है कि नहीं। संविधान बेंच से पास हो जाने के बाद मुस्लिम आरक्षण के सवाल पर कोई वैधानिक अड़चन नहीं रह जायेगी। गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने भी सरकारी नौकरियों में मुसलमानों के लिए कुछ सीटें रि.जर्व करने का कानून बनाने की दिशा में सकारात्मक पहल की है। बुद्धदेव भट्टाचार्य ने सरकारी नौकरियों और शिक्षा संस्थाओं में मुसलमानों को १० प्रतिशत रिजर्वेशन देने की पेशकश की थी। उन्हें भारी विरोध का सामना करना पड़ा था। अब इस फैसले के बाद बुद्धदेव भट्टाचार्य को अपने फैसले को लागू करने के लिए ताकत मिलेगी। इसके पहले भी केरल, बिहार, कर्नाटक और तमिलनाडु में पिछड़े मुसलमानों को रि.जर्वेशन की सुविधा उपलब्ध है। देश में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी उत्तर प्रदेश में है लेकिन राज्य में अभी पिछड़े मुसलमानों के लिए किसी तरह का आरक्षण नहीं है। उसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि यहां आज भी उत्तर प्रदेश में सपा, बसपा और कांग्रेस जैसे दल इस वोट बैंक पर अपना दावा ठोंकते रहते हैं। इसी आधार पर यह दल अपनी राजनीतिक रोटी तो सेंकते हैं पर इनके हितो से इनका कोई भी लेना देना नहीं रहता। क्योंकि अगर हित साध देंगे तो इनकी राजनीति ही बंद हो जाएगी। अपनी राजनीति की दुकान चलाने के लिए यही वोट बैंक इन्हें सबसे मुफीद लगता है। सुप्रीम कोर्ट के इस अंतरिम आदेश के बाद केंद्र की यूपीए सरकार पर भी रंगनाथ मिश्र कमीशन की रिपोर्ट लागू करने का दबाव बढ़ जाएगा। कांग्रेस ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में वायदा किया था कि सरकार बनने पर मुसलमानों के लिए ओ बी सी के लिए रिजर्व नौकरियों के कोटे में मुस्लिम पिछड़ों के लिए सब कोटा का इंतजाम किया जाएगा। अब कांग्रेस से सवाल पूछने का समय आ गया कि वे अपने वायदे कब पूरे करने वाले हैं। वैसे संविधान लागू होने के ६० साल बाद एक बार फिर ऐसा माहौल बना है कि राजनीतिक पार्टियां अगर चाहें तो सकारात्मक पहल कर सकती हैं और गरीब और पिछड़े मुसलमानों का वह हक उन्हें दे सकती हैं।

1 comment:

  1. किसी भी ऐसे कदम के लिए...बहुत अधिक राजनीति इच्छा शक्ति की जरूरत होती है...जो अभी हाल फिलहाल किसी राजनीति पार्टी में नजर नहीं आती...हालांकि इस मसले में वोटबैंक जैसा कुछ सकारात्मक बातें भी हैं...लेकिन सफर फिर भी मुश्किल है...इसलिए, कुछ भी कहना मुनासिब नहीं...

    आलोक साहिल

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