Saturday, March 13, 2010

...हम हिंदुस्तानी

भारत का हर हिस्सा सबके लिए है। कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने पटना में यही कहा था। मुंबई यात्रा के दौरान भी उनका यही आशय था। मुकेश अंबानी हों या फिर सचिन तेंदुलकर सभी खुद को पहले भारतीय मानते हैं। अभी हाल में आशा भोंसले ने भी यही बात नये अंदाज में कही है। मुंबई हो या फिर चेन्नई अथवा कोलकाता सभी क्षेत्रीयता के रंग से यदा कदा प्रभावित होते रहे हैं। अब यह बात जोर पकड़ने लगी है कि हम गुजराती, मराठी, बंगाली बाद में हैं और भारतीय पहले। जाने-माने उद्योगपति मुकेश अंबानी ने यही कहा। महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर का भी यही मत था। यही बात बालीवुड के किंग खान शाहरुख ने भी कही। संघ परिवार के मुखिया मोहन भागवत सहित भाजपा के आला नेताओं ने भी इस मुद्दे पर शिवसेना और मनसे को खरी-खोटी सुनाई। लगातार इन्हें करारे जवाब मिले। इन्हें मुंह की खानी पड़ी लेकिन इनका रवैया नहीं बदला। पिछले कुछ वर्षों से मुंबई में यह सवाल बार-बार उठा कि आखिरकार मुंबई किसकी है, सभी देशवासियों की या सिर्फ मराठियों की। शिवसेना व मनसे ने इस सवाल को तीखा बनाया। उत्तर भारतीयों के खिलाफ खूब बवाल हुआ। इसी आधार पर यह दोनो दल महाराष्ट्र में लंबे समय से अपनी राजनीतिक रोटी सेंकते रहे हैं। अक्सर महाराष्ट्र मनसे और शिवसेना की अंधेरगर्दी के कारण चर्चा में बना रहता है। कभी किसी मामले को लेकर तो कभी किसी अन्य मामले पर। अब जब न सिर्फ देश के हर कोने बल्कि पूरे महाराष्ट्र से उत्तर भारतीयों को निशाने पर लेने वाली मनसे और शिवसेना को करारा जवाब मिल रहा है तो इनकी बोलती बंद है। हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान जब आशा भोंसले ने मनसे प्रमुख राज ठाकरे की मौजूदगी में कहा कि मुंबई उन सब लोगों की है, जो इस शहर में दिन-रात मेहनत करते हैं। इस पर न तो राज ठाकरे कुछ बोल पाए और न ही बाल ठाकरे और उनके बेटे उद्धव ठाकरे ने ही कोई प्रतिक्रिया दी। शायद इनकी भी समझ में आ गया है कि अगर अब ये कुछ बोले तो उनके लोग ही खिलाफ हो जाएंगे। राहुल गांधी के मुंबई दौरे के बाद महारष्ट्र के लोगों ने इन दोनो ही दलों की नीतियों और कार्य शैली से किनारा करना शुरू कर दिया है। यह एक महत्वपूर्ण बदलाव है।मुंबई किसकी है ? इस सवाल का जवाब देने के लिए आशा भोंसले को इससे बेहतर मौका नहीं मिल सकता था। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने आशा भोंसले को सम्मानित करने के लिए पुणे में कार्यक्रम का आयोजन किया था। मनसे पार्टी सुप्रीमो प्रमुख राज ठाकरे खुद उन्हें सम्मानित करने के लिए मंच पर मौजूद थे। इस मंच से आशा भोंसले ने कहा कि मुंबई उन सब लोगों की है, जो इस शहर में दिन-रात मेहनत करते हैं। उन्होंने कहा कि प्रत्येक भारतीय को देश के किसी भी हिस्से में जाकर रोजी-रोटी कमाने का हक है। आशा भोंसले ने एमएनएस नेताओं और समर्थकों को नसीहत देते हुए कहा कि महाराष्ट्र के लोगों को भी ऐसी ही कड़ी मेहनत करनी चाहिए। उन्होंने अपना उदाहरण देते हुए कहा कि, मैंने दिन रात मेहनत की और अपने हिस्से की उपलब्धि हासिल की। कोई मुझसे यह नहीं छीन सकता। देश की मशहूर गायिका ने कहा कि मुझे मराठी बोलने में परेशानी होती है। मैं उसे सीखने की कोशिश कर रही हूं। मैं हिंदी बोलने में सहज महसूस करती हूं और उसे बोलना मुझे अच्छा लगता है। आशा का यह उद्बोधन सुनकर वहां मौजूद लोग और राज ठाकरे पहले तो हैरान हुए लेकिन बाद में सबने खूब तालियां बजाईं। आशा ने कहा कि वह पूरे भारत की हैं क्योंकि उन्होंने कई भाषाओं में गाने गाए हैं। कुछ महीने पहले जब कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने मुंबई का दौरा किया था तब शिवसेना और एमएनएस इस पर बौखला गईं थीं। बाल ठाकरे और उद्धव ठाकरे ने जहां जमकर बयानबाजी की वहीं राज ठाकरे ने महाराष्ट्र को देश से बांटने तक की बात कह डाली थी।

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