Friday, March 26, 2010
फिर विवादों में बिग बी
बिग बी का विवादों से पुराना नाता रहा है बोफोर्स घोटाले से लेकर आज तक बिग बी किसी न किसी विवाद के चलते सुर्खियों में बने रहते हैं। बांद्रा वर्ली सी लिंक के उद्घाटन के अवसर पर उनकी उपस्थिति ने एक नए विवाद को जन्म दे दिया। कांग्रेस पार्टी को बिग बी की उपस्थिति काफी नागवार गुजरी है। मुंबई महानगर कांग्रेस अध्यक्ष कृपाशंकर सिंह ने बिग बी के साथ मंच पर जाने से यह कह कर इंकार कर दिया कि बिग बी गुजरात सरकार के ब्रांड एंबेसडर हैं। नरेंद्र मोदी की नीतियों का समर्थन करते हैं। इसलिए उनके साथ मंच पर उपस्थित होना संभव नहीं है।कांग्रेस के इस विरोध पर मुख्यमंत्री अशोक चहवाण को भी सफाई देनी पड़ी है। श्री चहवाण ने स्पष्ट किया है कि उन्होंने इस कार्यक्रम में बिग बी को आमंत्रित नहीं किया था। वहीं दूसरी तरफ बिग बी ने सफाई दी है कि वे महाराष्ट्र सरकार के एक मंत्री के बुलावे पर इस समारोह में शामिल हुए थे। सूत्रों के अनुसार इस प्रकरण को कांग्रेस एनसीपी के आपसी संबंधों के रूप में देखा जा रहा है। सूत्रों की मानें तो अमिताभ बच्चन को एनसीपी कोटे के मंत्री ने कार्यक्रम में आमंत्रित किया था। एनसीपी ने यह कदम किसी राजनीतिक कूटनीति के तहत ही उठाया था ताकि कांग्रेस को नीचा दिखा सके। एनसीपी के इस कदम से यह भी समझा जा रहा है कि कांग्रेस और एनसीपी के संबंधों में दरार पड़ना प्रारंभ हो गयी है। दोनों ही दल भाजपा और शिवसेना को सत्ता से दूर रखने के लिए भले ही एकजुट हुए हों लेकिन दोनों ही सरकार में रहकर अपना-अपना एजेंडा लागू करना चाहते हैं। एनसीपी ने अमिताभ बच्चन को भी अपनी उसी कूटनीति के तहत कार्यक्रम स्थल पर आमंत्रित किया था। सपा के निष्कासित नेता अमर सिंह की बच्चन से नजदीकियां जगजाहिर हैं। एनसीपी प्रमुख शरद पवार व अमर सिंह के रिश्तों में घनिष्ठता बढ़ी है। इसी घनिष्ठता को और प्रगाढ़ करने के लिए शरद पवार के इशारे पर उनके कोटे के मंत्री ने अमिताभ को आमंत्रित किया था। अमिताभ बच्चन को आमंत्रित करके एनसीपी ने कांग्रेस को भी यह संकेत देने का प्रयास किया है कि वह अपने सिद्धांतों और नीतियों पर ही राजनीति करेंगे और कांग्रेस के इशारों पर नहीं चलेंगे। सनद रहे कि कभी बच्चन परिवार नेहरू गांधी परिवार का चाहने वाला रहा है। बीच के दिनों में पता नहीं किस बात पर गांधी और बच्चन परिवार के बीच खटास पैदा हुई और इसके चलते अमर सिंह जैसे लोगों ने सोनिया परिवार की वाचिक छंटाई शुरू कर दी। अब जब बच्चन पर भी सीधा हमला बोल दिया गया है तो हर संकट में बच्चन के लिए खुद को कुर्बान करने की कसम खाने वाले छोटके भैया अमर सिंह की इस मामले में बोलती बंद है। अमिताभ बच्चन को लेकर सोनिया गांधी कितनी सख्त हैं, यह तो तब ही पता चलेगा जब वे या उनका परिवार कुछ बोले। देखा जाए तो यह एक ऐसा मौका था जब मुंबई के दो हिस्से ही नहीं जुड़ते बल्कि गांधी बच्चन परिवार के संबंधों में भी एक नया सेतु निर्मित होता लेकिन ऐसा लगता है कि सोनिया गांधी की राजनीतिक मंडली किसी भी कीमत पर ऐसा कोई सेतु निर्मित नहीं होने देना चाहती। फिर चाहे सोनिया गांधी की रजामंदी हो या न हो।हालांकि मीडिया में चर्चा सिर्फ इस बात की हो रही है कि अमिताभ बच्चन का अपमान कांग्रेस क्यों कर रही है। लेकिन इस बात की तरफ शायद जान बूझ कर लोग ध्यान नहीं दे रहे हैं कि अचानक अमिताभ बच्चन को कांग्रेस एनसीपी की सरकार में एक ऐसे सी लिंक के उद्घाटन में बुलाने की वजह क्या हो सकती है जिसका शुरुआती उद्घाटन खुद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने किया हो। कहीं ऐसा तो नहीं कि अमिताभ बच्चन छोटे भ्ौया अमर सिंह के लिए एनसीपी में राजनीतिक लिंक खोलने जा रहे हैं? वैसे, जब अमर सिंह ने समाजवादी पार्टी से इस्तीफा दिया था तभी इस बात की चर्चा जोरशोर से उठी थी कि अमर सिंह एनसीपी में जा सकते हैं लेकिन अमर सिंह और एनसीपी शायद आपसी तालमेल के लिए तैयार नहीं हो पाए थे। इस बीच कांग्रेस ने महंगाई के लिए सीधे तौर पर पवार को जिम्मेदार ठहराया है। पवार को कांग्रेस एकदम से निपटाने की हर कोशिश में लगी है। पवार कभी बाल ठाकरे से मिलकर तो कभी पूरी सरकार को महंगाई के लिए दोषी ठहराकर कांग्रेस को लगातार परेशान करते ही रहते हैं। लेकिन उनको एक चेहरा चाहिए जो, महाराष्ट्र से बाहर भी कांग्रेस के लिए मुश्किल खड़ी कर सके। अमर सिंह एक ऐसा चेहरा हैं जिन्हें एनसीपी अपने लिहाज से और अमर सिंह एनसीपी को अपने लिहाज से इस्तेमाल करने के लिए बेहद मुफीद दिख रहे हैं।
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