पर्यावरण का अहम हिस्सा रहे गिध्द अब इतिहास के पन्नों में दर्ज होने के कगार पर हैं, पर बात गिध्दों तक ही खत्म होती नजर नहीं आती। कौवों की संख्या दिन पर दिन कम होती जा रही है। ठीक इसी प्रकार हमने अपनी दुनिया बसाते हुए चिड़ियों के घर उजाड़ दिए और उनके नए बसेरे का कोई इंतजाम भी नहीं किया। ............................................... आखिर क्यों ?
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