Sunday, July 11, 2010

उत्साह की लहर दौड़ा गयी क्वींस बेटन

राष्ट्रमंडल खेलों की मशाल क्वींस बेटन नवाबों के शहर लखनऊ में आयी तो पूरे शहर में उत्साह की लहर दौड़ गयी। नन्हें-मुन्ने बच्चों से लेकर बड़े-बूढ़े तक उसे एक झलक देखने और एक बार उसे छू  लेने की लालसा लेकर घंटों सड़क पर उस तरफ टकटकी लगाकर देखते रहे जिस रास्ते से क्वींस बेटन आ रही थी। तमाम देशों के झंडों के बीच लहराते तिरंगे और देशभक्ति की भावना से ओत प्रोत नारों के साथ स्कूली बच्चे कड़ी धूप के बावजूद घंटों क्वींस बेटन के इंतजार में सड़कों पर खड़े रहे।
क्वींस बेटन को सीतापुर के रास्ते लखनऊ  आना था। लखनऊ में उसका पहला स्वागत इटौंजा में होना था। इसी वजह से इटौंजा और लखनऊ के एतिहासिक आसिफी इमामबाड़े के बाहर लोगों का हुजूम जमा था। अपने निर्धारित समय से डेढ़ घंटा देर से इटौंजा पहुंची क्वींस बेटन के स्वागत के उत्साह में कोई कमी नजर नहीं आयी। इमामबाड़े के बाहर सुबह से ही स्वागत की तैयारियां चल रही थीं। इमामबाड़े के पास उसे शाम पांच बजे पहुंचना था। स्वागत की तैयारियां पूरी थीं। स्कूली बच्चे पसीने से लथपथ थे। इसी बीच खबर आयी कि क्वींस बेटन अब सीतापुर से चली है। उसे पहुंचते-पहुंचते तीन-चार घंटे लग जाएंगे। किसी और का इंतजार होता तो शायद लोगों की वापसी शुरू हो जाती लेकिन क्वींस बेटन का मामला था इसलिए स्कूली बच्चों ने अपने कार्यक्रम का रिहर्सल कर दिया। कुछ ही देर के बाद सड़क पर बढ़ती भीड़ को देखकर मुख्य मार्ग को बंद करना पड़ा। रास्ता बंद हो गया तो उत्साह चरम पर आ गया। स्कूली बच्चों ने अपना कार्यक्रम सड़क पर ही शुरू कर दिया। उधर क्वींस बेटन इटौंजा पहुंच चुकी थी। इटौंजा से लेकर बख्शी का तालाब तक सड़क के दोनों ओर लोगों का हुजूम स्वागत के लिए खड़ा हुआ था। क्वींस बेटन अपने लाव लश्कर के साथ आसिफी इमामबाड़े पहुंची तो लखनऊ के मंडलायुक्त, जिलाधिकारी, ओलम्पिक संघ के पदाधिकारी सबके सब मुस्तैद थे। प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया के प्रतिनिधि उन ऐतिहासिक पलों को कैद करने के लिए तैयार थे। इधर बादलों की ओट में सूरज छुपा उधर क्वींस बेटन का कारवां टीले वाली मस्जिद की तरफ से आसिफी इमामबाड़े की ओर मुड़ता नजर आया। क्वींस बेटन को देखते ही देशभक्ति से ओतप्रोत नारे वातावरण में गूंजने लगे। देशभक्ति के गीत लाउडस्पीकर पर सुनायी पड़ने लगे। खुली जीप पर चमचमाती क्वींस बेटन हजारों लोगों के बीच से गुजरती कार्यक्रम स्थल पर पहुंच गयी। महत्वपूर्ण हस्तियों के हाथों में कुछ देर रहने के बाद क्वींस बेटन कानपुर रोड स्थित सिटी मान्टेसरी स्कूल के लिए रवाना हो गयी। सिटी मान्टेसरी स्कूल में स्कूली बच्चों ने क्वींस बेटन के सम्मान में एक से बढ़कर एक सांस्कृतिक कार्यव्रम प्रस्तुत किए।
अगले दिन क्वींस बेटन एक बार फिर इमामबाड़े के बाहर जा पहुंची। भीड़ इस बार भी खूब थी लेकिन इस बार स्कूली बच्चों से ज्यादा खिलाड़ी नजर आ रहे थे। यह नामवर खिलाड़ी भी स्कूली बच्चों की तरह से क्वींस बेटन को छूने और निहारने को लालायित नजर आ रहे थे। जब क्वींस बेटन जाने-माने खिलाड़ी विजय सिंह चौहान के हाथ में आयी और केडी सिंह बाबू स्टेडियम के लिए रिले दौड़ शुरू हो गयी। एक खिलाड़ी के हाथ से दूसरे खिलाड़ी के हाथों में पहुंचती क्वींस बेटन के डी सिंह बाबू स्टेडियम जा पहुंची। स्टेडियम से उसे उसकी मंजिल की तरफ रवाना कर दिया गया। लखनऊ से रायबरेली होते हुए राष्ट्रमंडल खेलों की यह मशाल देश की राजधानी दिल्ली के लिए कूच कर गयी।

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