Thursday, May 20, 2010

अपमानित करनें का अभियान चल रहा

बसपा मंत्रियों के संरक्षण में प्रकाशित होने वाली अंबेडकर टुडे पत्रिका के मई अंक में हिन्दुओं खासकर सवर्णों को बुरी तरह से अपमानित करनें का अभियान चल रहा है। इसका प्रत्यक्ष नजारा देखना हो तो अम्बेडकर टुडे पत्रिका का मई २०१० का ताजा अंक देखिए जिसके संरक्षकों में मायावती मंत्रिमण्डल के चार चार वरिष्ठ कैबिनेट मंत्रियों के नाम शामिल हैं। इस पत्रिका के मई २०१० अंक का दावा है कि हिन्दू धर्म मानव मूल्यों पर कलंक है, त्याज्य धर्म है, वेद जंगली विधान है, पिशाच सिद्धान्त है, हिन्दू धर्म ग्रन्थ धर्म शास्त्र धर्म शास्त्र धार्मिक आतंक है, हिन्दू धर्म व्यवस्था का जेलखाना है, रामायण धार्मिक चिन्तन की जहरीली पोथी है, और सृष्टिकर्ता (ब्रह्या) बेटी(कन्यागामी) हैं तो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी दलितों के दुश्मन हैं।उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में स्थित जौनपुर जिला मुख्यालय से मात्र तीनचार किलोमीटर की दूरी पर स्थित भगौतीपुर (शीतला माता मंदिर धाम चौकियाँ) से एक मासिक पत्रिका अम्बेडकर टुडे प्रकाशित होती है जिसके मुद्रक प्रकाशक एवं सम्पादक हैं कोई डाक्टर राजीव रत्न। डॉ० राजीव रत्न के सम्पादन में प्रकाशित होनें वाली मासिक पत्रिका का बहुत मजबूत दावा है कि उसे बहुजन समाज पार्टी के संगठन से लेकर बसपा सरकार तक का भरपूर संरक्षण प्राप्त है और यह पत्रिका बहुजन समाज पार्टी के वैचारिक पक्ष को इस देश प्रदेश के आम आदमी के सामनें लानें के लिए ही एक सोची समझी रणनीति के तहत प्रकाशित हो रही है। यही कारण है कि इस पत्रिका के सम्पादक डॉ० राजीव रत्न अपनी इस पत्रिका के विशेष संरक्षकों में मायावती मंत्रिमण्डल के पांच वरिष्ठ मंत्रियों क्रमशः स्वामी प्रसाद मौर्य (प्रदेश बसपा के अध्यक्ष भी हैं।), बाबू सिंह कुशवाहा, पारसनाथ मौर्य, नसीमुद्दीन सिद्दकी, एवं दद्दू प्रसाद का नाम बहुत ही गर्व के साथ घोषित करते हैं। पत्रिका का तो यहाँ तक दावा है कि पत्रिका का प्रकाशन व्यवसायिक न होकर पूर्ण रूप से बहुजन आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर जनजन तक पहुँचानें एवं बुद्ध के विचारों के प्रचारप्रसार के लिए किया जा रहा है। बसपाई मिशन में जीजान होनें से जुटी इस पत्रिका के मई २०१० के पृष्ठ संख्या ४४ से पृष्ठ संख्या ५५ (कुल १२ पेज) तक एक विस्तृत लेख धर्म के नाम पर शोषण का धंधा वेदों में अन्ध विश्वास शीर्षक से प्रकाशित किया गया है। इस लेख के लेखक कौशाम्बी जनपद के कोई बड़े लाल मौर्य हैं। लेखक बड़ेलाल मार्य नें वेदों में मुख्यतः अथर्व वेद, ऋग्वेद, यजुर्वेद के अनेकोनेक श्लोकों का कुछ इस तरह से पास्टमार्टम किया है कि यदि आज भगवान वेद व्यास होते और विद्वान लेखक की विद्वता को देखते तो शायद वे भी चकरा जाते।लेखक का कथन है कि देवराज इन्द्र बैल का मांस खाते थे (पृष्ठ संख्या ५३)। पृष्ठ संख्या ५३ पर ही दिया गया है कि वैदिक काल में देवताओं और अतिथियों को तो गो मांस से ही तृप्त किया जाता था। पृष्ठ संख्या५४ पर विद्वान लेखक का कथन प्रकाशित है कि वेदों के अध्ययन से कहीं भी गंभीर चिन्तन, दर्शन और धर्म की व्याख्या प्रतीत नहीं होती। ऋग्वेद संहिता में कहीं से ऐसा प्रतीत नहीं होता है कि यह देववाणी है, बल्कि इसके अध्ययन से पता चलता है कि यह पूरी शैतानी पोथियाँ हैं। आगे कहा गया है कि वेदों में सुन्दरी और सुरा का भरपूर बखान है, जो भोग और उपभोग की सामग्री है। पत्रिका के इसी अंक के पृष्ठ संख्या ३१ पर मुरैना मध्यप्रदेश के किसी आश्विनी कुमार शाक्य द्वारा हिन्दुओं खाशकर सवर्णों की अस्मिता, मानबिन्दुओं, हिन्दू मंदिरों, हिन्दू धर्म, वेद, उपनिषद, हिन्दू धर्म ग्रन्थ, रामायण, ईश्वर, ३३ करोड़ देवता, सृष्टिकर्ता ब्रह्या, वैदिक युग, ब्राह्यण, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, को निम्न कोटि की भाषा शैली में गालियाँ देते हुए किस तरह लांक्षित एवं अपमानित किया गया है इसके लिए देखें पत्रिका में प्रकाशित बॉक्स की पठनीय सामग्री।उत्तर प्रदेश की बसपा सरकार द्वारा पालित एवं वित्तीय रूप से पोषित अम्बेडकर टुडे पत्रिका के इस भड़काऊ लेख नें प्रदेश में सवर्ण बनाम अवर्ण के बीच भीषण टकराव का बीजारोपड़ तो निश्चित रूप से कर ही दिया है। पत्रिका के इस लेख पर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से मात्र अस्सी किलोमीटर दूर रायबरेली में १४ मई को अनेक हिन्दू संगठनों नें कड़ी आपत्ति दर्ज कराते हुए पत्रिका की होली जलाई जिस पर जिला प्रशासन नें पूरे इलाके को पुलिस छावनी के रूप में तब्दील कर दिया था। रायबरेली में स्थिति पर काबू तो पा लिया गया है पर यदि इसकी लपटें रायबरेली की सीमा से दूर निकली तो इस पर आसानी से काबू पाना मुश्किल होगा।फिलहाल इस घटना की जानकारी के बाद उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने कार्रवाई करते हुए न केवल अंबेडकर टुडे पत्रिका को जब्त करने का आदेश दिया है बल्कि इस पूरे मामले की जांच सीबीसीआईडी से कराने का फैसला किया है। साथ ही पत्रिका के संपादक ने भी पत्रिका में छपे लेख को लेकर माफी मांगी है। मायावती प्रशासन द्वारा खबर प्रकाशित होने के बाद देर रात मुख्यमंत्री सचिवालय में एक आपात बैठक बुलाई गयी जिसमें अंबेडकर टुडे के संपादक डॉ राजीव रत्न को भी तलब किया गया। उनसे लिखित रूप में यह आश्वासन लिया गया कि वे अपनी पत्रिका में जिन पांच मंत्रियों का नाम प्रकाशित कर रहे हैं उसके लिए उनके पास कोई सहमति नहीं है। उनसे लिखित आश्वासन लेने के बाद सरकार ने जौनपुर डीएम को आदेश जारी किया कि वे पत्रिका का रजिस्ट्रेशन निरस्त करने की कार्रवाई सुनिश्चित करें। साथ ही सरकार ने आदेश जारी किया है कि इस पत्रिका की समस्त प्रतियों को जब्त कर लिया जाए। इसके साथ ही तत्काल निर्णय लिया गया कि इस पूरे मामले की सीबीसीआईडी से जांच करवाई जाएगी।इसके बाद १९ मई को सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने अंबेडकर टुडे पत्रिका के मई २०१० के अंक में धर्म विशेष के बारे में अशोभनीय, अमर्यादित एवं आपत्तिजनक सामग्री के प्रकाशन के मामले को गंभीरता से लेते हुए सीबीसीआईडी से जांच के आदेश दिये हैं ताकि इस लेख के माध्यम से सामाजिक सौहार्द को ठेस पहुंचाने की साजिश का पर्दाफाश हो सके।

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